Book Title: Shiksharthi Hindi Shabdakosh
Author(s): Hardev Bahri
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 11
________________ 1. 2. 4. 5. शब्दकोश प्रयोग पद्धति अक्षर क्रम कोश में आदि अक्षरों का क्रम वही रखा गया है जो देवनागरी वर्णमाला का है; अर्थात् - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ड ढ त थ द ध न प फ टिप्पणी – (1) 6. - ब भ म य र ल व श ष स ह । अं/ अँ, अः को अलग अक्षर नहीं माना गया, ये दोनों ध्वनियाँ अ के पेटे में आयेंगी । (2) ङ ञण से कोई शब्द आरंभ नहीं होते । दूसरे अक्षर के रूप में निम्नलिखित क्रम होगा अं/ अँ, अः, अक, अख, अग, अघ, अच, अछ, अज, अझ, अट, अठ, अड, अढ, अत, अथ, अद, अध, अन, अप, अफ, अब, अभ, अम, अय, अर, अल, अव, अश, अष, अस, अह । इस क्रम के उपरान्त उस आदि अक्षर के साथ मात्रायें लगने का क्रम होगा। जैसे का, कि, की, कु, कू, कृ, के, कै, को, कौ । मात्राओं के बाद संयुक्त अक्षर अपने क्रम में होंगे। जैसे 3. जहां किसी मुख्य शब्द का समानार्थक दूसरा शब्द है उसके आगे = या दे० का प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए: ― - 1 क्क, क्ख, क्व, क्त, क्थ, क्न, क्प, क्म, क्य, क्र, क्ल, क्व, क्श, क्ष, क्ष, (क्ष), क्स । टिप्पणी • यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि क्ष, त्र, ज्ञ संयुक्त अक्षर हैं, अतः क्ष कोक के साथ रखा जा रहा है, त्र को त के साथ और ज्ञ को ज के साथ रखा जा रहा है। शब्द के तीसरे, चौथे, आदि अक्षरों का क्रम दूसरे अक्षर के समान होगा । जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक हैं उनके अर्थों को 1, 2, 3, 4 संख्या देकर लिखा गया है ताकि पाठक को स्पष्ट रूप में अर्थ की भिन्नता जान पड़े। जहां शब्द के अर्थ व्याकरण, भाषा स्रोत अथवा वैज्ञानिक शाखा के अनुसार भिन्न हैं वहां अर्थ से पूर्व रोमन I, II, III, आदि लिखा गया है। बहुत से अनेकार्थ शब्दों की व्याख्या में कोई पदबंध या . छोटा-सा वाक्य दे दिया गया है जिससे शब्द का प्रयोग अधिक स्पष्ट हो जाता है। दरशन = दर्शन, दरस । इसके अर्थ यह हुए कि दरशन, दर्शन और दरस तीनों शब्दों के अर्थ समान हैं । शब्द की प्रविष्टि के उपरांत उस भाषा का संकेत दिया है जिससे वह शब्द हिंदी में ग्रहण किया गया है, जैसे (सं०) संस्कृत, (अ०) अरबी, (फ़ा० ) फ़ारसी, या (अं०) अंग्रेज़ी से । इस कोश में प्रत्येक शब्द की व्याकरणिक कोटि का संकेत किया गया है। शब्द-भेद आठ होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक | हिंदी में संज्ञा या तो पुंल्लिंग होती है या स्त्रीलिंग । कोश में पु० और स्त्री० से समझना चाहिए कि ये संज्ञा के भेद हैं। शब्द की प्रविष्टि के अन्तर्गत जहां भी उस शब्द का प्रयोग फिर से किया गया है उसका संकेत से किया गया है। उदाहरण के लिए शब्द है - पुत्र, इस शब्द के अर्थ के अन्तर्गत "पुत्रवधू" को इस प्रकार लिखा गया हैः-- 'वधू' । -

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