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__ शिक्षाप्रद कहानिया पत्थर हैं, जो एक ही स्थान पर पड़े हुए हैं, वे टस से मस नहीं हो सकते, लेकिन ये पत्थर इस औरत की जीविका तथा आत्मिक शान्ति के आधार बने हुए हैं।
अतः हे राजन्! अब आप ही बताइए कि कौन-से पत्थर कीमती हैं? निःसन्देह ये पत्थर उन पत्थरों से बहुमूल्य हैं।
यह सुनकर राजा की समझ में सारी बात आ गई और उन्होंने महात्मा के चरणों में अपना सिर रखते हुए कहा कि- महात्मन् आज आप ने मेरी आँखें खोल दी। मैं आजीवन आपका अत्यन्त आभारी रहूँगा।
१७. भय और आशा भय (डर) और आशा (कुछ मिलने की चाह) -ये दो ऐसे शब्द हैं, जिनसे न केवल मनुष्य अपितु पशु-पक्षी भी अछूते नहीं रहते। इस सन्दर्भ में शास्त्रों में कहानी कही जाती है, जो इस प्रकार है
एक थी बिल्ली और एक था चूहा। चूहा एक सोने के पिंजरे में बन्द है। पिंजरे के द्वार पर अलीगढ़ की प्रसिद्ध कम्पनी का मजबूत ताला लगा हुआ है, जिसको खोलना असंभव नहीं तो कठिन बहुत है, जिसे बिल्ली तो कदापि नहीं खोल सकती। पिंजरे में चूहे की मनपसन्द चीजें काजू, बादाम, अखरोट आदि अनेक वस्तुएं रखी हैं, लेकिन खाना तो दूर वो बेचारा उनकी तरफ देख भी नहीं पा रहा है।
चूहे के पिंजरे से लगभग 50 मीटर की दूरी पर बिल्ली खड़ी है। उसके सामने भी उसकी मनपसन्द वस्तुएं खीर, दूध, मलाई आदि रखी हैं, लेकिन उसकी भी वही स्थिति है, वह कुछ भी खा नहीं पा रही है। आप जानते हैं ऐसा क्यों हो रहा है?
ऐसा इसलिए हो रहा है कि- चूहे को तो डर है कि अगर मैं खाने लगा तो बिल्ली कहीं मुझे न खा जाए। बिल्ली को यह आशा है कि जाने कब ये चूहा मेरे हाथ लग जाए और मैं इसे चट कर जाऊँ।