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शिक्षाप्रद कहानिया है तो किसी जल से लोग नहाते-धोते हैं। अतः हमें द्रव्य, क्षेत्र काल और भाव को ध्यान में रखकर सभी कार्य करने चाहिए।
२४. सच्ची विद्वत्ता
बहुत समय पहले की बात है। भारतवर्ष में एक प्रसिद्ध राजा हुए जिनका नाम था राजा भोज। ऐसा कहा जाता है कि- उनके राज्य में प्रत्येक व्यक्ति पढ़ा लिखा एवं विद्वान् था। और वे स्वयं भी विद्वान् थे। विद्वान् होने के साथ-साथ उनमें एक महान् गुण था। और वह गुण था विद्वानों का सम्मान करना। फिर चाहे यह गुण एक सामान्य से दिखने वाले किसी मजदूर में ही क्यों न हो? वे उनका भी बहुत सम्मान करते थे।
एक बार उन्होंने अपने राज्य में विद्वानों का एक बहुत बड़ा सम्मेलन किया। जिसमें उन्होंने सभी विद्वानों को आमन्त्रित किया। जब सभी विद्वान् एकत्रित हो गए तो उन्होंने स्वयं सभा का संचालन करते हुए उपस्थित सभी विद्वानों से निवेदन किया कि- आप सभी से मेरी एक विनम्र प्रार्थना है कि- आप आज इस सभा में किसी ऐसी एक घटना का उल्लेख करें, जिससे आप स्वयं प्रेरित और हर्षित हुए हों। इतना सुनना था कि सभी विद्वान् शुरु हो गए और बारी-बारी सब सुनाने लगे अपनी-अपनी आपबीती। किसी ने अपने शास्त्रार्थ के किस्से सुनाए कि कैसे मैने अमुक विद्वान् को शास्त्रार्थ में पराजित किया। किसी ने अपनी बहादुरी के किस्से सुनाए कि कैसे मैने फला पहलवान को पराजित किया। किसी ने अपने ज्ञान का बखान किया। इसी प्रकार सभी ने अपनी-अपनी घटना सुनाई।
___अन्त में जब सभा समाप्ति की ओर थी तो एक बिल्कुल दुबला-पतला, दीन-हीन सा दिखाई देने वाला व्यक्ति अपने आसन से उठा और उसने निवेदन किया- हे भूमिपति! मैं यह कहना चाहता हूँ कि मैं आपकी इस महान् विद्वत् सभा में आने का अधिकारी ही नहीं हूँ,