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शिक्षाप्रद कहानियाँ
यह देखकार वह तुरन्त बोली- अरे ! यह तुम क्या कर रहे हो? यह बेचारी तो पहले ही अपाहिज है। इसे मारकर तुम क्या करोगे? बहेलिया बोला- करूँगा क्या? मारकर खाऊँगा इसे ।
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किसान की पत्नी ने सोचा- 'मेरे पति ने पर्ची में लिखा था, दूसरों का भला करना। ये रूपये किसी अच्छे काम में लगाना। क्यों न मैं कुछ रूपए इस बहेलिए को देकर इस चिड़िया की जान बचा लूँ।' वह बोली- सुनो ! मैं तुम्हे दस रूपये दूँगी तुम उन रूपयों से कोई अच्छी एवं सात्विक चीज खरीदकर खा लो। तुम्हारा पेट भी भर जाएगा और तुम पापकर्म से भी बच जाओगे ।
बहेलिया उसकी बात मान गया और उसने उसे रूपए दे दिए। फिर किसान की पत्नी ने बड़े प्यार से चिड़िया का उपचार किया। क्योंकि वह बेचारी उड़ भी नहीं सकती थी । उसे भरपेट रोटी के टुकड़े आदि खिलाए, पानी पिलाया, घाव पर दवाई लगाई। और कुछ ही दिनों में चिड़िया स्वस्थ हो गई खूब उड़ने भी लगी । और चिड़िया उसकी छत पर ही घोंसला बनाकर रहने लगी।
अभी कुछ ही दिन बीते थे कि किसान की पत्नी के समक्ष एक घटना और घटी। और वह घटना यह थी कि कुछ शरारती लड़कों ने मोर को पकड़ लिया। कोई उसके सुन्दर पंखों की चाहत में उसके पंख खींच रहा था तो कोई उसे अपने घर ले जाने की चाह में खींच रहा था। वे सब उसे खूब दुःखी कर रहे थे।
किसान की पत्नी को मोर पर दया आ गई उससे यह सब न देखा गया तो वह मन ही मन कुछ सोचकर बोली- देखो बच्चों तुम इस मोर को छोड़ दो। मैं तुम्हें भरपेट मिठाई खिलाऊँगी।
बच्चों ने बात मान ली। और उसने भी उन्हें भरपेट मिठाइयाँ खिला दी। और वह मोर भी कभी उसके घर में तथा कभी उसके खेत में रहने लगा।