________________
128
शिक्षाप्रद कहानियां का भी आनन्द नहीं लेने देते हैं। हमें भूत का डर बना रहता है और भविष्य की आशाओं के लिए चिन्ता बनी रहती है। इसी संदर्भ में मैं यहाँ एक छोटी-सी कहानी लिखने का प्रयत्न कर रहा हूँ ।
पैसा,
कलकत्ता मैट्रो सिटि में एक सम्पन्न सेठ जी रहते थे। भगवान् की कृपा से उनके घर में कोई कमी नहीं थी। सन्तान, रूपयाघोड़ा गाड़ी सब कुछ उनके पास था। लेकिन, जैसे ही वे घर लौटते तो बड़े आशंकित, चिन्तित एवं भयभीत नजर आते। इस बात को लेकर घर का कोई और सदस्य तो शायद ही उनकी ओर ध्यान देता हो, लेकिन उनकी पत्नी जरूर समझ गई कि हो न हो कोई ऐसी बात जरूर है जिसके कारण सेठ जी की ऐसी हालत है। और एक दिन उसने सेठ जी की इस चिंता का कारण पूछ ही लिया । और सेठ जी ने भी बता दिया कि मैं यह सोचता रहता हूँ कि पहले एक बार बुरे दिन आ गए थे कहीं वे दोबारा न आ जाएं। तथा कल को अगर मैं ही ना रहूँ तो तुम्हारा और बच्चों का क्या होगा ? बस, यही सब सोचकर मैं चिन्तित और भयभीत रहता हूँ।
सेठ जी की पत्नी पढ़ी-लिखी, समझदार और व्यवहार कुशल थी। उसने मन ही मन पति को इस चिन्ता से उबारने के लिए एक युक्ति सोच ली। अगले दिन जैसे ही सेठ जी दुकान के लिए गए, उसने बीमारी का बहाना बनाकर चारपाई पकड़ ली। और न ही घर का कोई काम किया तथा उदास एवं चिन्तित - सी सारा दिन चारपाई पर पड़ी रही।
शाम को जब सेठ जी घर आए तो उन्होंने देखा कि पत्नी बड़ी ही उदास एवं चिन्तित चारपाई पर लेटी हुई है। इससे उनकी चिन्ता और बढ़ गई कि अब घर का काम कौन करेगा। उसने तुरन्त पत्नी से इस सब का कारण पूछा।
यह सुनकर पत्नी बोली- ' शहर में एक बहुत ही पहुँचे हुए ज्योतिषी आए हुए हैं, लोगों का कहना है कि वे त्रिकालदर्शी हैं और उनका बतलाया हुआ कभी झूठ नहीं होता। पड़ोसन की सलाह पर मैं भी