Book Title: Shikshaprad Kahaniya
Author(s): Kuldeepkumar
Publisher: Amar Granth Publications

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Page 164
________________ 154 शिक्षाप्रद कहानिया सैनिकों ने वैसा ही किया। व्यापारी यह सब देखकर बड़ा आश्र्चय-चकित हुआ तत्पश्चात् बादशाह ने उस व्यापारी को व्यापार करने के लिए प्रचुर मात्रा में धन दिया और कहा कि जाओ तुम जाकर खुशी-खुशी अपना व्यापार पुनः प्रारंभ करो। ___ इस सारी घटना को देखकर व्यापारी तो आश्चर्यचकित था ही, लेकिन दरबार के अन्य लोग भी बहुत आश्चर्यचकित थे। वे सभी यह जानने के लिए लालायित हो रहे थे कि यह सारा माजरा क्या है? उन सबकी उत्सुक्ता को देखकर बादशाह बोला- आप सब यही सोच रहे होंगे कि यह बादशाह भी अजीब स्वभाव का इंसान है, लेकिन यह सब मैने इसकी भलाई के लिए ही किया है। क्योंकि दैववशात् कुछ समय मनुष्य के जीवन में ऐसा आता है कि चाहे दूसरा व्यक्ति उस मनुष्य की कितनी भी मदद करने की कोशिश करे लेकिन, वह मुसीबत से छुटकारा नहीं पा सकता है। इसलिए शास्त्रकारों ने कहा है कि शुभस्य शीघ्रम् अशुभस्य कालहरणम्। ६७. सियार की चतुराई एक जंगल में चिंपू नाम का शेर राज्य करता था। वह प्रतिदिन जंगल के जानवरों का शिकार करके अपनी पेट की भूख को शांत करता था। एक दिन घूमते-घूमते सुबह से दोपहर हो गई लेकिन, उसे कोई जानवर नहीं मिला। इतने में ही उसे कुछ दूरी पर भोलू नाम का सियार दिखाई पड़ा तो वह मन ही मन बड़ा प्रसन्न हुआ कि लो बन गयी बात अब तो मजे से इसे चट कर जाऊँगा। भोलू सियार ने भी अपनी तिरछी नजरों से चिंप को देख लिया और मन ही मन सोचने लगा कि अब जान बचाने का कोई तरीका नहीं है। अगर मै भागूं तो ये मुझे दोड़कर पकड़ लेगा और मैं कहीं झाडियों में छिपूँ तो यह सूंघ कर खोज लेगा, इसलिए अब बचने का कोई तरीका नजर नहीं आता। सियार होता ही बहुत चतुर प्राणी है। इसलिए अब उसने स्वयं से मन ही मन कहा अब मरना तो है ही क्यों ना किसी युक्ति का

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