________________
156
शिक्षाप्रद कहानिया आइए बैठिए, आत्मा को जानिए, आत्मा अलग है, शरीर अलग है, मुक्ति का रास्ता होता है, मुक्ति प्राप्त की जाती है इत्यादि। अच्छे वातावरण का प्रभाव पड़ता ही है चाहे कोई भी प्राणी हो।
दैववशात् एक दिन उस आश्रम में कहीं से दो चोर आ गए। तोता अपने विचारों में मग्न था और उन दोनों को देखकर बोलने लगाआइए, बैठिए, नमस्कार, आपका स्वागत है। महात्माजी अभी आ रहे हैं नदी पर स्नान करने गए हैं।
यह सब देखकर उन चोरों को बड़ा आश्चर्य हुआ। मन ही मन सोचने लगे कि यह तोता तो हमारे बहुत काम का है, इसे तो अपने अड्डे पर ले ही जाना होगा, और कुछ मिले या न मिले।
इतने में महात्मा जी आ गए। चोर बोले- महात्मा जी! हमें आपका यह तोता चाहिए। महात्माजी बोले- क्या कहा? आप दोनों को यह तोता चाहिए अरे! यह तो मेरा बहुत ही प्रिय है बचपन से मेरे पास खेलकूद कर बड़ा हुआ है, इसे मैं नहीं दे सकता भले ही इसके बदले मेरे आश्रम का सारा सामान ले जाओ।
यह सुनकर दोनों चोर क्रोधित होकर बोले- आप हमें जानते नहीं हो, हम कौन हैं? अगर सीधे हाथ से नहीं दोगे तो हम दूसरा रास्ता भी जानते हैं। सोच लो अभी हम आपको मौका देते हैं।
सारी बात सोच समझ कर महात्मा ने निर्णय किया कि इन्हें तोता देने में ही भलाई है देखा जाएगा जो होगा। महात्मा बोले- ले जाओ भाई लेकिन इसे अच्छी तरह रखना और हो सके तो कभी-कभार इसका हाल-चाल मुझे भी देना।
चोर तोते को लेकर अपने अड्डे पर आ गए और तोते का पिंजरा वृक्ष पर लटका दिया। वे तोते को अच्छी-अच्छी चीजें खाने को देते मगर तोता बहुत उदास रहता और विचारों में खोया रहता। महात्माजी से बिछुडने का दुःख उसे था ही लेकिन, इससे भी अधिक वह वहाँ के वातावरण से दु:खी था। कहाँ तो आश्रम था जहाँ सारा दिन अच्छी-अच्छी बातें सुनने को मिलती थी और कहाँ यह चोरों का अड्डा जहाँ सारा दिन