Book Title: Shikshaprad Kahaniya
Author(s): Kuldeepkumar
Publisher: Amar Granth Publications

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Page 217
________________ शिक्षाप्रद कहानियां बहलाने के लिए। राजा बोला- मैंने तुम्हें कहा न वहाँ कुछ नहीं ले जा सकते अपने साथ और तुम हो कि रानी को ले जाने की बात कर रहे हो। अतः तुम यहाँ से जाओ और मुझे शांति से जाने दो। 207 मूर्ख बोला- अच्छा! आप एक बात बताओ जहाँ आप जा रहे हो क्या वहाँ आपका कोई परिचित, नाते-रिश्तेदार भी है कि नहीं? और नहीं है तो आप किसी अपने एक पुत्र को ही साथ ले जाओ वह वहाँ आपका ख्याल रखेगा। अब राजा को गुस्सा आ गया और झुंझलाकर बोला- 'तुम्हारी समझ में बात क्यों नहीं आती जब मैंने एक बार कह दिया कि वहाँ कोई कुछ नहीं ले जा सकता तो मैं कैसे ले जा सकता हूँ?' 4 मूर्ख बोला- 'अच्छा! छोड़ो, एक काम करो मैं थोड़े से हीरे-मोती आपके साथ रखवा देता हूँ वहाँ वे बहुत काम आयेगें नई-नई जगह है वहाँ आपको सब कुछ व्यवस्थित करने में कुछ समय तो लगेगा और उसके लिए धन की भी आवश्यकता पड़ेगी वहाँ किससे माँगोगे । अतः आप मेरा इतना कहना तो मान ही लो। अब राजा आग-बबूला हो गया और उसने कहा- सैनिकों इसे पकड़ो और धक्के मार कर बाहर निकालो। न जाने किस मनहूस घड़ी में मैंने इस मूर्ख को राजदरबार में रखने की सोची। जल्दी करो, वरना, यह मेरा मरना भी दूभर कर देगा। ' इतना सुनते ही सैनिक दौड़े मूर्ख को पकड़ने। लेकिन जब तक वे उसे पकड़ते उससे पहले ही वह राजा से बोला- 'हे राजन्! आपने मेरी इतनी सारी मूर्खतापूर्ण बातें सुनी हैं। बस एक बात और सुन लीजिए । फिर मैं अपने-आप यहाँ से चला जाऊँगा सैनिकों को पकड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बस आप इतना बता दीजिए कि क्या आप को पहले से ही पता था कि अंत समय में कुछ भी साथ नहीं जाएगा?' राजा बोला- 'हाँ यह सब तो मुझे पहले से ही मालूम था । ' मूर्ख बोला- मैं तो मूर्ख ही था लेकिन, आप तो महामूर्ख हैं। और उसने अपना परिचय-पत्र गले से उतार कर राजा को पहना दिया। और बोला- जब

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