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शिक्षाप्रद कहानिया करना होगा।
उस व्यक्ति ने तुरंत कहा- कोई समस्या नहीं। आप मुझे बताइए कि मुझे करना क्या है, मैं दिनभर में उसे पूरा कर लूँगा, तब तक आप भी दिनभर में मेरे प्रश्न का उत्तर खोज कर बता दें। इस पर धर्मोपदेशक ने कहा- तुम्हें केवल इतना काम करना है कि अपने गाँव के लोगों से उनकी इच्छाएं, आकाक्षाएँ पूछकर, एक सादे कागज पर लिख लेना है,
बस।
उस व्यक्ति के लिए यह काम ज्यादा कठिन नहीं था। गाँव में कुल मिलाकर 100 परिवार ही रहते थे, सायंकाल तक उसने सभी की आकांक्षाएँ पूछकर एक कागज पर लिख ली। लेकिन धर्मोपदेशक के पास लौटने से पहले उसने अपने कागज पर नजर डाली तो उसे बड़ा ही आश्चर्य हुआ लोगों की बड़ी अजीब किस्म की इच्छाओं से वह सादा पेपर भरा हुआ था। किसी ने पुत्र की कामना की थी तो किसी ने धन की। किसी ने रोग-निवारण की तो किसी ने अपने पड़ोसी के अनिष्ट की किसी-किसी ने अपने दुष्ट स्वभाव वाली पत्नी से छुटकारा पाने की इच्छा व्यक्त की तो किसी ने पति से। बहुत ढूँढ़ने पर भी उस व्यक्ति को किसी की ऐसी इच्छा दिखलायी नहीं दी जिसमें वह शांति पाने की कामना करता हो।
उस व्यक्ति को गहरा झटका लगा। उसे ऐसा आभास हो गया कि धर्मोपदेशक ने उसके प्रश्न का उत्तर युक्तिपूर्वक दे दिया है। फिर भी वह उस पेपर को लेकर धर्मोपदेशक के पास आया। उन्होंने केवल इतना ही कहा कि हो सकता है तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा, लेकिन अब मुझे स्वयं तुमसे ही यह पूछना है कि क्या तुम्हें स्वयं को भी शांति की चाह है?... क्या तुम शांति चाहते हो? ।
अब उस व्यक्ति की दशा देखने लायक हो गयी। वह असमंजस में पड़ गया और कहने लगा- हे महात्मन्! अभी तो मैं जवान हूँ, अभी मुझे विवाह करना है, मकान बनाना है, बच्चों को पढ़ाना-लिखाना है, अभी मुझे जीवन में अनेक योजनाओं को पूरा करना है। समय आने पर