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शिक्षाप्रद कहानियां हैं, आइये, हम शारीरिक और मानसिक नरक के भागीदार न बनें तथा अतीत में हुई भूलों पर व्यर्थ ही पश्चाताप न करते रहें। आज में जीने के लिए अपने आपको केन्द्रित करके सुनहरे भविष्य की कामना करें। किसी लेखक ने ठीक ही लिखा है कि
शानदार भूत था, भविष्य भी महान् है । अगर हम सम्हाल लें, जो कि वर्तमान है ॥
* भूतकाल सपना, भविष्यकाल कल्पना, वर्तमानकाल
अपना।
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इसीलिए हमें भूत और भविष्य की चिन्ता न करते हुए वर्तमान में जीना चाहिए।
७२. जो होता है, अच्छा होता है
कुछ समय पहले की बात है। राजस्थान में एक राजा राज्य करता था। वह सर्वगुण सम्पन्न था। उसका एक अत्यंत योग्य, चतुर एवं विश्वसनीय मंत्री था। वह राज-काज के सभी कार्यों में निपुण था, इस लिए राजा उसका बहुत सम्मान भी करता था।
एक दिन राजा कुछ काम कर रहे थे तो उनके हाथ की एक अंगुली कट गयी। राजा बहुत दुःखी हुआ। मंत्री भी वहीं बैठा था और देखकर कहने लगा- जो हुआ अच्छा ही हुआ। राजा को यह सुनकर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन कहा कुछ भी नहीं, शांत रहा।
चार-पाँच दिन बाद राजा विहार करते-करते जंगल में बहुत आगे निकल गया और अपने सिपाहियों से अलग हो गया। उसको वहाँ भीलों ने पकड़ लिया। भीलों को देवी माँ के समक्ष किसी सुंदर व्यक्ति की बलि चढ़ानी थी। राजा सुंदर एवं बलिष्ठ तो था ही, अतः भीलों ने कहा- इससे अच्छा व्यक्ति कहाँ मिलेगा, चलो ले चलो। राजा बहुत भयभीत हो गया, लेकिन अब करें तो क्या करे? चुपचाप उनके साथ चल दिया।