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शिक्षाप्रद कहानिया
महानतम् शत्रु हैं। इनके समक्ष बाकी सभी शत्रु फेल हैं।
आजकल विभिन्न अखबारों में, टेलीविजन में, इण्टरनेट में अथवा जितने भी संचार के माध्यम हैं, उन सब में शायद ही कोई ऐसा दिन होता हो जिस दिन यह समाचार ना छपता हो कि अमुक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी या पुत्र ने ही पिता का गला दबा दिया, या पिता ने ही पुत्री का बलात्कार कर दिया, सगे भाई ने भाई को मार दिया इत्यादि अनेक समाचार पढ़ने-सुनने और देखने को मिल जाते हैं। जोकि अत्यन्त भयावह और खून के पवित्र रिश्तों तक को कलंकित करते हैं। और व्यक्ति के जीवन को नरक बना देते हैं। व्यक्ति कीड़े की तरह चौबीसों घण्टे कुलबुलाता रहता है। हमारे यहाँ स्वर्ग-नरक की बात की जाती है। मैं समझता हूँ कि ये काल्पनिक स्वर्ग-नरक तो पता नहीं हैं कि नहीं। लेकिन यहीं इसी लोक में मैंने अनुभव किया है कि जिस व्यक्ति के जीवन में प्रेम है, भाईचारा है, सम्मान है, शान्ति है, धैर्य है, साम्यभाव है, पति-पत्नी में प्रेम है, बड़े-बुजुर्गों के लिए सम्मान है। उसके लिए यहीं स्वर्ग है और जिसके जीवन में ये सब नहीं है, उसके लिए यहीं नरक है। कहा जाता है कि जिस घर में पति-पत्नी में प्रेम नहीं है। उससे बड़ा कोई नरक नहीं है इस दुनिया में। और यह बिल्कुल वास्तविक सत्य है। जिसे नकारा नहीं जा सकता। क्योंकि उन दोनों की विचारधारा बिलकुल भिन्न होती है। न पति उसकी बात मानेगा न पत्नी उसकी बात मानेगी। छोटी-छोटी बातों पर भिड़ जाएंगे दोनों और दोनों एक-दूसरे को देखकर कीड़े की तरह कुलबुलाएंगे, मारेंगे-पीटेंगे, गालियाँ बकेंगे, एक दूसरे को शारीरिक तथा मानसिक दुःख देंगे। आप ही बताइए कि नरक आखिर और क्या होता है? नरकों में भी तो जीव को दुःख ही मिलता है। जो प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता लेकिन, ऊपर बतलाए गए नरक के द्वार स्वरूप क्रोधादि तो हमें प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं और इनका फल भी प्रत्यक्ष दिखाई देता है।
अभी कुछ दिन पहले मेरे एक मित्र मुझसे मिलने आए। ऐसे ही बातें हो रही थी कि उन्होंने बतलाया कि मेरे पड़ोस में एक सम्पन्न