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तीसरा बोला-
चौथा बोला
शिक्षाप्रद कहानिया अगर साँप तुम्हारे पास पहुँच भी जाएं तो तुम उन्हें नारियल से मारना। शास्त्रों में तो स्पष्ट लिखा ही है कि मनुष्य को स्वावलम्बी होना चाहिए। अतः तुम अपनी रक्षा स्वयं करो। घबराओं मत, सभी साँप विषैले नहीं होते। शायद वे तुम्हें काटें भी नहीं। तुम बिलकुल भी चिन्ता मत करो। अगर साँपों ने तुम्हें काट भी लिया तो हम तुम्हें अच्छे से अच्छे अस्पताल में ले जाएंगे।
पाँचवा बोला
छठा बोला
सातवाँ बोला- तुम चिन्ता बिलकुल मत करो। शास्त्रों में यह
भी स्पष्ट लिखा है कि- जो भाग्य में होता है वही होता है। तुम एक काम करो ऊपर से
नीचे कूद जाओ। अब आप समझ सकते हैं कि नारियल के पेड़ की ऊँचाई कितनी होती है? अगर वह कूदता तो क्या होता? प्राण न भी जाते तो हाथ-पैर अवश्य ही टूट जाते। अतः वह नीचे नहीं कूदा।
तदुपरान्त अन्य विद्वानों के मन में भी जी-जो आया उन्होंने कहा। लेकिन उसको बचाने की कोई उचित युक्ति किसी ने नहीं सोची। और असल बात तो यह थी कि डर के मारे स्वयं उनके होश उड़ रहे थे। डर के कारण वे एक कदम आगे बढ़ने तक की हिम्मत जुटा नहीं पा रहे थे। लेकिन अपनी कमजोरी को वे न तो प्रकट करना चाहते थे
और न ही स्वीकारना चाहते थे। और अब वे उल्टा अपने साथी पर ही दोष गढ़ने लगे कि- क्या जरूरत थी इसे ऊपर चढ़ने की? हम तो फल बाजार से खरीद कर भी खा सकते थे।