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शिक्षाप्रद कहानिया
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इस प्रकार तीनों पड़ोसी आपसी फूट के कारण अलग-अलग पिटे। तथा उन्होंने काम भी पिटने का ही किया था, क्योंकि बिना पूछे किसी की वस्तु लेना चोरी होता है। और चोरी का फल तो आप सबको मालुम ही है। हाँ यह भी जरूर था कि अगर वे तीनों आपस में एक होते तो पिटाई से बच जाते और क्षमादि माँगकर चोरी का पश्चाताप कर लेते और किसान की हिम्मत नहीं होती उन्हें पीटने की। अतः हम सबको आपसी फूट से बचना चाहिए। हमारे देश पर अंग्रेजों ने जो इतने वर्षों तक राज किया था, उसके मूल में हमारी आपसी फूट ही थी। इसीलिए उनका एक नारा उस समय प्रचलित था
फूट डालो और राज करो।
२०. सत्य का बल
सत्य बोलना एक अत्यन्त साहस का कार्य होता है। और सत्य के बल पर ऐसे-ऐसे कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है, जिनकी कल्पना भी शायद न की जा सके। सत्य और अहिंसा के बल पर ही राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने हमारे देश को अंग्रेजों से स्वतन्त्रता दिलाई। हमारे देश में सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र जैसे अनेक महापुरुष हुए। जिनकी महानता के गुणगान आज भी आदर-सत्कार पूर्वक गाए जाते हैं। ऐसे ही एक सच्चे बालक की एक कहानी मुझे यहाँ याद आ रही है, जिसे मैं यहाँ लिखने का प्रयास करूंगा।
हमारे देश के उत्तरी भाग में एक प्रान्त है। जिसका नाम हैपंजाब! वहाँ के एक छोटे से गाँव के परिवार में एक बालक का जन्म हुआ। बालक का नाम रखा गया- सत्यपाल। सत्यपाल के जन्म के कुछ वर्ष बाद ही उसके पिता का स्वर्गवास हो गया। अतः उसकी माँ ने ही उसका लालन-पालन किया। तथा गाँव के ही विद्यालय में आठवीं कक्षा तक पढ़ाया। सत्यपाल आगे भी पढ़ना चाहता था। लेकिन, गाँव में इससे आगे की पढ़ाई करने के लिए विद्यालय ही नहीं था।