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विषय-सूची
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श्रुतज्ञानावरण कर्मकी २० प्रकारकी
बातका निर्देश प्ररूपणा व स्वरूपनिर्देश
२६० | भवप्रत्यय अवधिज्ञानके स्वामी २९२ पर्यायज्ञानका स्वामी व विशेष
गुणप्रत्यय अवधिज्ञानके स्वामी
२९२ विचार
२६२ अवधिज्ञानके भेद-प्रमेद और उनका पर्यायसमासज्ञान
| व्याख्यान पद श्रुतज्ञान
२६५ एकक्षेत्र और अनेकक्षेत्र अवधिज्ञानका पदके तीन भेद
विशेष व्याख्यान
२९७ मध्यम पदमें अक्षरोंकी संख्या २६६ अवधिज्ञानका काल
२९८ सकल श्रुतके समस्त पदोंकी संख्या
क्षण, लव' आदि शब्दोंका अर्थ २९९ पदसमास व संघात श्रुतज्ञान
२६७ जघन्य अवधिज्ञानका क्षेत्र
३०१ अक्षर श्रुतके ऊपर छह प्रकारकी
अवधिज्ञानके क्षेत्र और कालका वृद्धिका निषेध
एकसाथ विचार
३०४ संघातसमास व प्रतिपत्ति श्रुतज्ञान
प्रसंगसे क्षेत्र आदि चारकी वृद्धिका प्रतिपत्तिसमास आदि श्रुतज्ञानके
नियम
३०९ शेष भेद
भवनत्रिकमें अवधिज्ञानके क्षेत्र और प्रतिसारीबुद्धिवाले जीवोंकी अपेक्षा
कालका विचार
३१४ श्रुतका विचार
२७१ सौधर्म कल्प आदिमें अवधिज्ञान के क्षेत्र श्रुतके बीस भेदोंका विशेष विचार २७३
| और कालका विचार
३१६ अङ्गबाह्य, ग्यारह अङ्ग और परिकर्म परमावधिज्ञानके क्षत्र और कालका आदिका कहां अन्तर्भाव होता है,
विचार
३२२ इसका विचार
२७६
सर्वावधिज्ञानके क्षेत्र और कालके श्रुतज्ञानके आवरणोंकी व्यवस्था २७७
जाननेकी सूचना
३२५ श्रुतज्ञानावरणीयके प्रसंगसे श्रुतके पर्याय
तिर्यञ्चोंमें अवधिज्ञानके उत्कृष्ट द्रव्य वाची नाम और उनकी व्याख्या २७० | तथा नारकियोंमें जघन्य व उत्कृष्ट अवधिज्ञानावरणीय कर्म और उसकी
क्षेत्रका निर्देश प्रकृतियाँ
२८९ | जघन्य और उत्कृष्ट अवधिज्ञानके अवधिज्ञानके दो भेद
स्वामीका निर्देश
३२७ पर्याप्त अवस्थामें अवधिज्ञानकी उत्पत्ति मनःपर्ययज्ञानावरण और उसके भेद ३२८ होती है, इसका सकारण विचार
| ऋजुमतिमनःपर्ययज्ञानावरणके भेद व किन्तु भवानुगामी अवधिज्ञान भवके विशेष विचार
३२९ प्रथम समयमें भी होता है, इस
| ऋजुमतिमनःपर्ययज्ञानका विषय
३३२
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