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सकषाय जीव धर्मध्यानका अधिकारी हैं ७४ | स्पटीकरण कषायरहित जीव शुक्लध्यानका
क्षेत्रानुगम निरूपण अधिकारी है
स्पर्शनानुगम निरूपण
१०० ध्यानसम्बन्धी अन्य विशेषताएँ
कालानुगम निरूपण धर्मध्यानमें तीन शुभ लेश्याएँ होती हैं ७६
अन्तरानुगम निरूपण
१३२ धर्मध्यानका फल शुक्लध्यान में शुक्ल विशेषणका कारण
भावानुगम निरूपण
१७२ शुक्लध्यानके चार भेद
अल्पबहुत्व निरूपण
१७५ पृथक्त्ववितर्कअवीचार
| यहां कर्मके शेष अनुयोगद्वारोंका कथन एकत्ववितर्कअवीचार ७९ । न करने का कारण
१९६ दोनों शुक्लध्यानोंका आलम्बन दोनों शुक्लध्यानों व धर्मध्यानका
३ प्रकृति अनुयोगद्वार फलविचार एकत्ववितर्कअवीचार ध्यानको अप्रतिपाती।
टीकाकारका मङ्गलाचरण विशेषण न देनेका कारण तथा
प्रकृतिके १६ अधिकार स्वामी विचार
८१
| प्रकृतिनिक्षेपके चार भेद शुवलध्यानके चिह न
| कौन नय किस निक्षेपको स्वीकार करता सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाती ध्यानका विचार ८३ | है, इस बातका निरूपण केवलज्ञानके कालमें सयोगी जिनके
नैगम, व्यवहार और संग्रह नयकी अपेक्षा , होनेवाली क्रियाओंका निर्देश
ऋजुसूत्र नयकी अपेक्षा सूक्ष्मक्रियाप्रतिपातीको ध्यान संज्ञा
शब्दनयकी अपेक्षा देनेका कारण
| नामप्रकृति विचार व्युपरतक्रियानिवर्तिध्यानका विचार
स्थापनाप्रकृति विचार इसे ध्यानसंज्ञा देनेका कारण
| द्रव्यप्रकृतिके दो भेद व स्वरूपनिर्देश क्रियाकर्म विचार
| आगमद्रव्यप्रकृतिके अर्थाधिकार भावकर्म विचार यहां समवदान कर्मका प्रकरण है
उपयोगके प्रकार दस कर्मोंमेंसे छह कर्मों की अपेक्षा सत् संख्या नोआगमद्रव्यप्रकृतिके दो भेद आदि आठ अधिकारोंका निरूपण ९१ | नोकर्मप्रकृतिका विचार सदनुयोगद्वारनिरूपण | कर्मप्रकृतिके आठ भेद
२०५ द्रव्य प्रमाणानुगमनिरूपण
९३/ ज्ञानावरणके प्रसंगसे ज्ञानका स्वरूपनिर्देश छह कर्मोंकी द्रव्यार्थता और प्रदेशार्थताका व जीवके पृथक् अस्तित्वकी सिद्धि २०६
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