Book Title: Shatkhandagama Pustak 05
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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अन्तरानुगम-विषय-सूची
(४५) क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. | क्रम नं. विषय पृष्ठ नं.
१ गतिमार्गणा २२.३१ तिर्यंचोंकासोपपत्तिक अन्तर(नरकगति )
निरूपण
३३-३७ १८ नारकियोंमें मिथ्यादृष्टि और
२५ पंचेन्द्रियतिर्यंच, पंचेन्द्रियअसंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंके
तिर्यंचपर्याप्त और पंचेन्द्रियनाना और एक जीवकी
तिर्यंचयोनिमती मिथ्यादृष्टिअपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट
योका दोनों अपेक्षाओंसे
जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर अन्तरोंका सोदाहरण निरूपण २२-२३
३७-३८ नारकियोंमें सासादनसम्य
२६ तीनों प्रकारके तिर्यंचों में ग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि
सासादनसम्यग्दृष्टि और जीवोंका दोनों अपेक्षाओंसे
सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरोंका
दोनों अपेक्षाओंसे जघन्य सदृष्टान्त निरूपण
२४-२६
और उत्कृष्ट अन्तर २० प्रथम पृथिवीसे लेकर
२७ तीनों प्रकारके असंयतसम्यसातवीं पृथिवी तकके मिथ्या
ग्दृष्टि तिर्यंचोंका दोनों अपेदृष्टि और असंयससम्यग्दृष्टि
क्षाओंसे जघन्य और उत्कृष्ट नारकियोंके दोनों अपेक्षा
अन्तर ओंसे जघन्य और उत्कृष्ट
२८ तीनों प्रकारके संयतासंयत अन्तरोंका दृष्टान्तपूर्वक प्रति
तिर्यंचोंका दोनों अपेक्षाओंसे पादन
२७-२८
जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर ४३-४५ २१ सातों पृथिवियोंके सासादन
२९ पंचेन्द्रिय तिर्यंच लब्ध्यसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्या
__ पर्याप्तकोंका दोनों अपेक्षादृष्टि नारकियोंका नाना और
ओंसे जघन्य और उत्कृष्ट एक जीवकी अपेक्षा जघन्य
अन्तर
४५.४६ और उत्कृष्ट अन्तर
२९-३१ (तिर्यंचगति) ३१-४६
( मनुष्यगति) ४६-५७
३० मनुष्य, मनुष्यपर्याप्तक और २२ तिथंच मिथ्यादृष्टियोंका नाना
मनुष्यनी मिथ्यादृष्टि जीवोंका और एक जीवकी अपेक्षा
अन्तर
४६-४७ जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर ३१-३२ २३ तिर्यंच और मनुष्य जन्मके
३१ भोगभूमिज मनुष्योंमें जन्म कितने समय पश्चात् सम्यक्त्व
लेनेके पश्चात् सात सप्ताहके और संयमासंयम आदिको
द्वारा प्राप्त होनेवाली योग्य
ताका वर्णन प्राप्त कर सकते है, इस विषयमें दक्षिण और उत्तर
३२ उक्त तीनों प्रकारके सासाप्रतिपत्तिके अनुसार दो
दनसम्यग्दृष्टि और सभ्यप्रकारके उपदेशोंका निरूपण ३२ /
ग्मिथ्यादृष्टि मनुष्योंका अन्तर ४८.५० २४ सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे लेकर
३३ तीनों प्रकारके असंयतसम्यसंयतासंयत गुणस्थान तकके
ग्दृष्टि मनुष्योंका अन्तर
५०-५१
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