Book Title: Shatkhandagama Pustak 05
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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(६)
षट्खंडागमकी प्रस्तावना पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
शुद्ध
(पुस्तक ५) २ १६ अन्तररूप........आगमको अन्तरके प्रतिपादक द्रव्यरूप आगमको , २८ वर्तमानमें इस समय वर्तमानमें अन्य पदार्थके ७ ९ सासाण
सासण१४ कालमें........रहने पर कालके स्थानमें अन्तर्मुहूर्तके द्वारा १२ ८ गमिदसम्मत्त
गहिदसम्मत्त १४ १७ असंयतादि
प्रमत्तादि ४ वासपुते
वासपुधत्ते १९ १. वेदगसम्मत्तमुवणमिय वेदगसम्मत्तमुवसामिय ., २७ प्राप्त कर
उपशामित कर अर्थात् द्वितीयोपशमसम्य
क्त्वको प्राप्त कर ५६ २२ यह तो राशियोंका
यह तो इस राशिका ५९ २१,२२ उत्कृष्ट अन्तर
जघन्य अन्तर . ७१ १९ आयुके
उसके ७७ २६ गतिकी
इन्द्रियकी ९७ ७ देवेसु
देवीसु २२ देवोंमें
देवियोंमें २१ अन्तरसे अधिक अन्तरका अन्तरका ९ उक्स्क सेण
उक्कस्सेण १९ तीनों ज्ञानवाले
मति-श्रुतज्ञानवाले १२१ १ अंतरभंतरादो
अंतरभंतरा दो १५ अप्रमत्तसंयतका काल । अप्रमत्तसंयतके दो काल २४ तीनों ज्ञानवाले
मति-श्रुतज्ञानवाले १५७ ५ -पमत्तसंजदाण
-पमत्तसंजद-अप्पमत्तसंजदाण१८ और प्रमत्तसंयत
प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत १५८ १६ (श्रेण्यारोहण करता हुआ) सिद्ध सिद्ध
२२ ( गुणस्थान और आयुके ) आयुके कालक्षयसे
कालक्षयसे
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