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सत्य संगीत
जिज्ञासा
[१] बता दो कौन से पथ से तुम्हें हम आज पायेंगे। कहो केसे छटा अपनी प्रभो हमको दिग्वायेंगे।
[२] विपद के मेघ छाये हैं न ऑखो मूझ पडता है । कहो किस वक्त आकर आप हमको पथ दिखायेंगे ।
[३] गमारू गीत गाते ही निकाली जिंदगी सारी । तुम्हारी ही कृपासे नाथ कब गुण गान गायेगे ।
बकी है वर्म के मद मे हजारों गालियाँ हमने । कहो कत्र आप ममभावी मधुर वीणा बजायेंगे |
[५] लड़ाई द्वद ही देखे खुदा के नाम पर हमने । कहो तो आप अपनी प्रेम मुद्रा कब दिखायेंगे ।
तुम्हारे ही लिये आसन बनाया आज है दिल पर । कहो आकर हँसायगे न आकर या रुलायेंगे ।