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सत्य संगीत
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जागरण सोनेवाले अब जाग जाग । उदयाचल पर आये दिनेश-अणु अणु पर छाया किरण-राग ॥
सोने वाले अब जाग जाग ॥१॥ निशि गई गया अब तमस्तोम,
फैला है भूतल पर प्रकाश । आखों की उलझन हुई दूर, हो रहा जगत का भ्रम-विनाश ।। दिख रहा कुपथ पथ का विभाग ।
सोनेवाले अब जाग जाग ॥२॥ जग की जडता होगई नष्ट,
मचरहा यहा सब ओर शोर । है हुआ भोर भग रहे चोर, कल कल करते कलकण्ठ मोर ।। दिग्व रहे मनोहर विपिन बाग ।
मानवाले अब जाग जाग ॥३॥ अत्र गोल नयन करले विचार ,
कर्तव्य पथ दिग्यता अपार । टाना तुझको अमिन भार, जबरहिनन यम प्रार नार ।।
जटना की सध्या त्याग म्याग । मन पराग गाथा