________________
८४]
सत्य संगीत
तुझे सत्य सन्मान नहीं है । अथवा तुझमें जान नहीं है। तुझको इसका भान नहीं है--
गिरती सिर पर गाज । भुलक्कड, फिर भला त आज ॥
(५) कोरी कट कट से क्या होगा? धन के जमघट से क्या होगा? घूघट के पट से क्या होगा ?
जव न हृदय में लाज । भुलक्कड, फिर भूला तू आज ॥
फाँसी पर जिनको लटकाया । या निन्दा का पात्र बनाया । फिर उनके पूजन को आया ॥
ले पूजा के साज । भुलक्कड, फिर भला तू आज ||
तुझे सत्य का रूप दिखाने । . प्रेम और समभाव सिखाने । फिर जीवित समाज में लाने ॥
आया सत्य-समाज । भुलक्कड, फिर भूला तू आज ॥