Book Title: Satya Sangit
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 120
________________ १०८ ] Vvv NA www MVA सत्य संगीत M www.v श्रृंगार करूँगी सखि, मैं अपना श्रृंगार ॥ सोना न होगा, न चॉदी भी होगी, होगा न हीरे का हार || करूँगी सखि मै अपना श्रृंगार ॥१॥ काजल न होगा, न ताम्बूल होगा, होगा न रेशम का भार । महंदी न होगी, न उबटन भी होगा, होगी न गोटा - किनार ॥ करूंगी सखि, मैं अपना श्रृंगार ॥२॥ होगा न कङ्कण, न होगी अॅगूठी, होंगे न मोती अपार । चम्पा न होगा, चमेली न होगी, होगी न वेला - बहार ॥ करूँगी सखि, मैं अपना श्रृगार ||३|| खञ्जनसी आँखों में, अजन लगानेको, जाऊँगी मरघट के द्वार | ढूँढूँगी श्रृंगार-साधन वहाँ पै मैं, होगे जो दुनिया के सार ॥ करूँगी सखि, मैं अपना श्रृंगार ॥४॥

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