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सत्य संगीत
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मेरी भूल
हुई थी कैसी मेरी भूल । तरी महिमा भूल व्यर्थ ही डाली तुझ पर बल ।
हुई थी कैसी मेरी भल ॥
थोडी सी यह मति गति पाकर ।
सहिवेक का भान भुलाकर । मान-गन में बैठ उडगे लीं मन ही मन फूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ||
[२] थोडासा वनका लव पाकर ।
अपने को उन्मत्त बना कर । मानवता पर निरस्कार बरसा कर बोथे शूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ||
[३] योडामा अविकार मिला जब ।
गर्न उठा निर्दय होकर तव । पाया जग से कोटि कोटि विकार बना प्रतिकूल ।
हुई थी कैसी मेरी भूल ॥
[४] गेडामा यदि नाम कमाया ।
गई या की झूठी छाया । छाग की गा में भला. उडा, उडे ज्यों तुल ।
हुई थी की मेरी मल ॥