Book Title: Satya Sangit
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 132
________________ ___ १२० ] सत्य संगीत 4.45 मेरी भूल हुई थी कैसी मेरी भूल । तरी महिमा भूल व्यर्थ ही डाली तुझ पर बल । हुई थी कैसी मेरी भल ॥ थोडी सी यह मति गति पाकर । सहिवेक का भान भुलाकर । मान-गन में बैठ उडगे लीं मन ही मन फूल । हुई थी कैसी मेरी भूल || [२] थोडासा वनका लव पाकर । अपने को उन्मत्त बना कर । मानवता पर निरस्कार बरसा कर बोथे शूल । हुई थी कैसी मेरी भूल || [३] योडामा अविकार मिला जब । गर्न उठा निर्दय होकर तव । पाया जग से कोटि कोटि विकार बना प्रतिकूल । हुई थी कैसी मेरी भूल ॥ [४] गेडामा यदि नाम कमाया । गई या की झूठी छाया । छाग की गा में भला. उडा, उडे ज्यों तुल । हुई थी की मेरी मल ॥

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