Book Title: Satya Sangit
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 105
________________ झरना [ ९३ झरना बहादे छोटा सा झरना ॥ प्यासा होकर सोच रहा हू कैसे क्या करना ? वहादे छोटा सा झरना । (२) मरु-थल चारों ओर पड़ा है, बालू का ससार खड़ा है। बूंद बूंट की दुर्लभता मे, कैसे रस भरना ? वहादे, छोटा सा झरना ॥ नयन-नीर बरसाना होगा, मानस को भर जाना होगा, शीतल मद सुगध पवन से जगत्ताप हरना, वहादे, छोटासा झरना ॥ मेरी थोडी प्यास बुझादे, छोटासा ही झरना लादे। चमन बना दूगा इस मरु को भले पडे मरना, वहादे छोटासा झरना ॥

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