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________________ ७८ ] सत्य संगीत NPAN Www जागरण सोनेवाले अब जाग जाग । उदयाचल पर आये दिनेश-अणु अणु पर छाया किरण-राग ॥ सोने वाले अब जाग जाग ॥१॥ निशि गई गया अब तमस्तोम, फैला है भूतल पर प्रकाश । आखों की उलझन हुई दूर, हो रहा जगत का भ्रम-विनाश ।। दिख रहा कुपथ पथ का विभाग । सोनेवाले अब जाग जाग ॥२॥ जग की जडता होगई नष्ट, मचरहा यहा सब ओर शोर । है हुआ भोर भग रहे चोर, कल कल करते कलकण्ठ मोर ।। दिग्व रहे मनोहर विपिन बाग । मानवाले अब जाग जाग ॥३॥ अत्र गोल नयन करले विचार , कर्तव्य पथ दिग्यता अपार । टाना तुझको अमिन भार, जबरहिनन यम प्रार नार ।। जटना की सध्या त्याग म्याग । मन पराग गाथा
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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