________________
मनुष्यता का गान
wwwwvvvanaavvamruaruWW~
मनुष्यता का गाना आओ मनुष्य बनजावें गावे मनुष्यता का गान ।
हम भूलें गोरा काला । जग हो न रग-मतवाला ।
हम पियें प्रेम का प्याला ॥ हम देखें मनका रंग और मुखके ऊपर मुसकान । आओ मनुष्य बनजावें गावें मनुष्यता का गान ॥१॥
हम जाति पॉति सब तोडे । हम सब से नाता जोडें ।
हम मत-मदान्धता छोडें ॥ न्दू अथवा मुसलमान सबका हो एक निशान । आओ मनुष्य बनजावे गावे मनुष्यता का गान ॥२॥
हमने मानव तन पाया । पर मानवपन न दिखाया ।
औदार्य विवेक गमाया । हम मनुष्यता के विना बने पडित, कैसे नादान । आओ मनुष्य बनजा। गावें मनुष्यता का गान ॥३॥
हो सारा विश्व हमारा । सबसे हो भाईचारा ।
हो हृदय न न्यारा न्यारा ॥ हम चलें प्रेम के पथ प्रेमका हो घर घर सन्मान । आओ मनुष्य बनजा गात्रं मनुप्यता का गान ||४||