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भानवा गीत
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मोग्बू नेत्रापाठ सर्वदा, रख ईसामसीह का ध्यान । वन दुखी को देख दुखी में, करून दुग्ख में दुख का गान ॥ नीबू वीर मुहम्मद से में, भ्रातृभाव का मपहार | मान्यभाव का पाठ पढ़ मै, मानवता का करू प्रचार ॥ ( ६ ) देवनयी जरथुस्त महाला. कन्फ्यूमियम नीति - दातार । नकल महात्मा वद्य मुझे हों विधुता के अवतार ॥ मन्दिर जाऊ मसजिद जाऊ. जाऊ गिरजावर के हार | सब मे हे भगवती अहिंसा लगा नत्य प्रभु का दीर ॥ ( सर्वजाति-समभाव )
( ७ )
जातिपोनि का
रक्
कुटकी . की उच्चनीचता भट्ट कोई रहे
स्वार्थहीन चेक को सम् स्वार्थ-भूत्ति पर पीडक की ही. मी
( ८ )
किसी
गम नहीं नूरु से भी न
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।
मोनाना का बनूं जा जर उ ॥
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सर्वन एक ग ॥
भीनीन ।
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