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सत्य संगीत
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( 8 ) यह जीवन रस- हीन वने जब । शोक सिन्धुमे लीन बने जब । अकर्मण्यताधीन वने जब ।
हो तव तेरा ध्यान ||
वशीचाले तनिक सुनाजा दुनियाको बशी की तान ॥ (५)
बाहर जब होली मचती हो ।
घरमें तव वसन्त रचती हो ।
त्रिपदाओं में भी नचती हो । मनमोहन मुसकान ||
वीवाले तनिक सुनाजा दुनियाको वशी की तान ॥ ( ६ )
अमर सत्य-संगीत सुनाजा । प्राणोंको पीप पिलाजा |
तान तानमें रस वरसाजा । आजा कर रसदान ॥
चगीवाले तनिक सुनाजा दुनियाको वंशी की तान ॥
(७)
मेरे मन-मन्दिर में आजा |
मेरा
हा तार बजाजा । मुना हृदय सजाजा गाजा ।
कर्मयोग का गान ||
शीले तनिक सुनाजा दुनियाको वंशी की तान ॥