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सत्यसंगीत
सत्यब्रह्म
[१] तेरी ही सेवा करने को सब तीर्थकर आते है.
ज्ञानदीप लेकर दुनिया को नरा पथ दिखलाते हैं। तेरी ही करुणा को पाकर 'बोधि बुद्ध बन जाते हैं, स्वार्थ जी तेरे सेवक ही जग में जिन कहलाते हैं |
[२] योगेश्वर कहलाते हैं जो दिखलाते तेरी छाया,
मर्यादा पुरुषोत्तम की भी नूरति है तेरी माया ।