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सत्य संगीत
मातेश्वरी
। [१]
मानवार तेरा अचल । सकल अनयों से रक्षित कर देता है मुझको बल ।
मातेश्वरि तेरा अचल ॥
[२] तेरे बिना न कभी किमी को पड सकती पलभर कल । तेरे अचलकी छायामें मिट जाते छाया हल ।।
मातेश्वरि तरा अचल ॥
वर्म तत्वके विविध रूप हैं तेरी करुगाके फल । न् न जहां हैं वहा वर्म में भी है पाप निरर्गल ||
मानेवरि तेरा अचल ॥
[४] नीर्थकर पैगर ऋषि मुनि या अवतारों का दल । . है तेरे ही पुत्र चिल्लाने है जगको गम रम जल ॥
मानवरि तेरा अचल ॥
तेरे अचलको छायाम, बांते जीवन के पल । मावर हा किल्लु नहीं हो तंग अचल चल ।
गलेश्वरि नेरा अचल ॥