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भारत माता
भारत माता
रन मोनी पाग भारत माता । में मुगुन में अग्जिट जगत के नाना ।
यो विधिने मव-विध सम्पूर्ण बनाया । गगा ना मुन्दर हार नुझे पहनाया । भिर अमर धवल हिमगिरिमा स्त्र लगाया ।
रनाकर ने पट पग्वारने आया । गक शिरिष दन्न तरा ही गण गाना । है गुग्न--- मोहनी प्यारी भारत माता ॥१॥
पल पल पनिज सब रन्ना का आकर न जल ढग्य सुधा रस-राजों का निझर त । नाना आपधिन सब को चिन्ता-हर त ।
मधुकर नभचर जलचर यलचर का घर न ॥ नन अजब अजायत्र घर मा है दिग्वलाता । ह भुवन-मोहनी प्यारी भारत माता ॥ २ ॥
मन प्रतुणं. मन शृगार यहा आती हैं। अपना अपना नवनत्य दिखा जाती हैं। निज निज स्वर मे नेरे गुणगुण गाती हैं।
नेरे आँगन में नाटक दिग्वलाती हैं । सब और प्रकृति ने भर दी है सुखसाता । हे भुवन-मोरनी प्यारी भारत माता ॥ ३ ॥