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दीदार
दीदार
है भला नमार भर का सत्य चाहता जीवन विताना नत्यंके ही
के दीदार मे ।
प्यार में ॥१॥
भी यह मजा ।
ये चमडी जब, न तत्र था जीनमे आज जो मिलना मजा है प्रेमकी इस हार में ॥२॥
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लड झगडकर मर रहे ये हाय कल तक आज कैंस
रहे है प्रेम के इस
कल यहा दोजस्य बना थाः देखते है किस तरह झाँकी बनी है सत्यके
[ २९
किस
तरह |
तार में || ३ ||
आज क्या ।
दीर में || ४ ||
मजहबों का, जातियो का आज पागलपन गया । अक्ल आई है ठिकाने युक्तियों की मार में ||५|| मजहबों में जातियों में अब हुआ समभाव है । धर्म दिखता है हमे अब प्रेम के व्यवहार में ||६|| मन्दिरो में मसजिदों मे, चर्च में है भेद क्या ! सत्य प्रभु तो सब जगह है मत्यमय आचार में ||७|| अत्र विवेकी हो गये हम है सुधारकता मिली । वह है अन्धश्रद्धा ज्ञान- जल की वार में ॥८॥ मिल गई माता हमें है अब भूल बैठे स्वार्थ सारे आज मॉ के चाहिये दीदार तेरा और कुछ भी स पडा है अब भिखारी आज तेरे द्वार में ॥१०॥
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अहिंसा
भगवती ।
प्यार मे ||९||
दे न दे |