Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ ( ११ ) श्वे० आगमकी उत्पत्ति श्वे० बौद्ध ग्रंथोका सादृश्य | हैहय व कलचूरी राजा । चालुक्य राजा व जैनधर्म । राष्ट्रकूट वंश में जैनधर्म । चावड़ राजाओंके जैन कार्य । सोलंकी राजा व जनधर्म | सम्राट् कुमारपाल | कुमारपालकी साम्राज्यवृद्ध | जैन मंत्री वाहड़ | कुमारपाल व जैनधर्म | कुमारपाल व साहित्यवृद्धि । कुमारपालका गार्हस्थ्य जीवन । सोलंकी राज्यका पतन । वाघेल वंश और जैनधर्म । वस्तुपाल और तेजपाल । याबूके जैन मंदिर | वस्तुपालका अंतिम जीवन । श्वे० धर्मका अभ्युदय । दिगम्बर धर्मका उत्कर्ष । (७) उत्तरी भारत के राज्य व जैन धर्म............ राजपूत और जनधर्म । . १४४ कन्नौज के राजा भोज परिहार | विविध राजवंशों में जैनधर्म । ग्वालियर के राजा व जैनधर्म | मध्यभारतमें जैनधर्म । राजा ईल और जेनधर्म । मध्य प्रान्त में जैनधर्म । धाराका राजवंश और जैनधर्मव राजा मुँज और जैन विद्वान | अमितगति आचार्य | राजा भोज और जैनधर्म । दूवकुंड के कच्छवाहे । नरवर्मा और जैनधर्म । कविवर आशाधर । बंगाल ओड़ीसा में जैनधर्म । ओड़ीसा के अंतिम राजा । राजपूताना में जनधर्म मेवाड राणावंश में जैनधर्म । मारवाड में जैनधर्म | नाटके चौहान व जैनधर्म । राठौड़ों में जेनवर्म । मंडोर के प्रतिहार व जेनधर्म । वागड़ प्रान्त में जैनधर्म | अजमेर के चौहान व जनधर्म | सिंधु - पंजाब में जैनधर्म । तत्कालीन दि० जैन संघ । उज्जैन व वाराका संघ । प्रसिद्ध दिगम्बराचार्य । मुनिधर्म | गृहस्थ धर्म । जैनों की शुद्धि | जैनधर्मकी उपयोगिता । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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