________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३. विद्या वर्तमान में विद्या का उपयोग व्यापार के लिए, अर्थप्राप्ति के लिए होता है, जबकि विद्या द्वारा हमें जीवन का दर्शन करना है । आज जीवन का मूल्य धन एवं भौतिक साधनों की प्राप्ति मात्र रह गया है । सारा समाज उसी प्रतिमान से एक दूसरे को नाप रहा है । सज्जनों का मूल्य हमारे पास नहीं है । हृदय के धनी और सद्गुणों से युक्त ऐसे आत्माओं की आज कमी है । आज हम भौतिकतावादी दर्शन के कारण दिन-प्रतिदिन दीन और अभिमानी बनते जा रहे हैं ।
मन की तालीम द्वारा ही विद्या का सदुपयोग हो सकता है । विद्या आज विवाद
और धन-प्राप्ति हेतु उपयोग में लायी जाती है, जबकि साधु-महात्माओं की विद्या का उपयोग जनकल्याण के लिए होता है; क्योंकि वहाँ सही दृष्टि और विवेक है।
प्रेम से लहू का दूध बन जाता है और नफरत से, धिक्कार से लहू का पानी बन जाता है ।
UG
G
x
For Private And Personal Use Only