Book Title: Samvada Ki Khoj
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 91
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५. संत-समागम मनुष्य की प्रकृति अनादिकाल से संसार के अनुकूल हो गयी है । ठंड के दिनों में जितने समय के लिए गरम कपड़े पहनते हैं उतने समय के लिए ही ठंड दूर रहती है, पर जैसे ही गरम कपड़े उतारते हैं कि ठंड लगने लगती है । उसी प्रकार श्रवण करते समय या स्वाध्याय के समय तो शुभ विचार आते हैं, लेकिन जैसे ही संसार की प्रवृत्तियों में लगे कि शुभ विचार दूर चले जाते हैं । इसलिए जीवन के अंतिम क्षणों तक प्रभु की वाणी को सुननी चाहिए। __गरमी के दिनों में सरोवर के किनारे शीतलता मिलती है । उसी प्रकार संतों के सान्निध्य में शांति और सुख शाश्वत रूप से मिलते हैं। अगर कोई हमें गाली दे, तो भी हमें शांत बने रहना चाहिए, जिससे सामनेवाला थक कर चला जाय । एक समय एक धर्मगुरु ने सोचा कि लोग मुझे नहीं चाहते और उस संसारी पैरिक्युलस को चाहते हैं, ऐसा क्यों ? इसका कारण यह था कि पैरिक्युलस अपने हृदय के जो भी विचार लिखता वे लोंगों को बहुत ही पसंद आते थे । एक दिन वह धर्मगुरु पैरिक्युलस के ७६ For Private And Personal Use Only

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