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६४. योग्यता जब हम किसी को उपदेश देने के लिए जायें, तब पहले हमारी स्वयं की भावना शुभ होनी चाहिए । शुभ भावना से औरों पर उपदेश का अच्छा असर होता है ।
___ गौतमस्वामी जब अष्टापद पर्वत से नीचे आये तब उन्होंने कई तापसों को अपनी अक्षयलब्धि द्वारा खीर का पारणा कराया । इस खीर को खाने के बाद पाँच सौ तापसों को केवलज्ञान हो गया । कारण, गौतमस्वामी शुभ भाव से औरों के पास जाते थे ।
दूसरों को सुधारना हो तो उनके पास जाकर बोध देना चाहिए । दूर से दिये गये बोध का कोई असर नहीं होता । ज्ञान से, समझ से और विचारों की लेन-देन से मनुष्य को बोध प्राप्त होता है । जगत में समझदार लोग असंभव में से भी संभावित को प्राप्त कर लेते हैं ।
भगवान महावीर ने कहा है, "आप लोगों में और मुझ में अन्तर यही है कि मेरे अंदर जो था, उसका मैंने ठीक-ठीक उपयोग किया । आप लोग उसका सही उपयोग नहीं करते हैं । हम जैसा चाहें वैसा अवश्य बन सकते हैं, केवल मन, वचन, और काया को योग्य । बनाना पड़ता है।"
CERY
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