Book Title: Samvada Ki Khoj
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पूर्णता को प्राप्त करने के लिए यदि कोई समर्थ है, तो मनुष्य ही है। पुण्य का प्रभाव आत्मकल्याण करवाना है और जगत में कीर्ति प्रसारित करना है । हम असंख्य केवली भगवंतों को याद नहीं करते हैं, लेकिन चौबीस तीर्थकरों को हमेशा याद करते हैं, क्योंकि उन्होंने जबरदस्त पुण्यनामकर्म बाँधे होते हैं, अतः उनके अतिशय स्वयं प्रकाशित हो उठते हैं । जब तक मोक्ष प्राप्ति न हो, तब तक पुण्यकर्मोकी बहुत आवश्यकता रहती है। मोक्ष फल है और पुण्य फूल है । फल के आते ही फूल अपने आप झड़ जाते हैं । जो दिन अपने हाथ में हैं, उनका सदुपयोग कर लेना चाहिए । दुःख का उदय अभी आ जाय, यही अच्छा है । कर्म राजा का कर्ज अभी ही जितना अदा कर दिया जाय, उतना उत्तम है । संसार में सुख मानने के बजाय मोक्ष में सुख मानने से मोक्ष प्राप्तिकी ओर प्रयाण होता है । विपत्ति को संपत्ति मानो, दुःख को सुख मानो । ९४ For Private And Personal Use Only

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