Book Title: Samvada Ki Khoj
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 119
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७५. सीख मरते वक्त बाप ने बेटे से कहा, “गाँवगाँव में घर बाँधना, धूप में भटकना नहीं और मीठा भोजन खाना ।" बेटा इसका अर्थ न समझ सका, लेकिन बाप के एक वृद्ध मित्र ने इसका अर्थ समझाया (१) गाँव-गाँव घर बाँधना अर्थात् लोगों के साथ अच्छा संबंध रखना । (२) धूप में नहीं घूमना याने सुबह से सूर्यास्त तक दुकान में बैठ कर धंधा करना । (३) मीठा खाना अर्थात् खूब श्रम करके खाना, जिससे जो भी खाया जाय वह मीठा लगे। बिना श्रम किये प्राप्त पैसे की कोई कीमत नहीं है । बिना श्रम के प्राप्त पैतृक संपत्ति को पुत्र स्वच्छंदता- पूर्वक उड़ा देता है । श्रम में रस है, आनंद है, सुख है, शांति और समता है । साधु श्रम कर के ही सिद्धि प्राप्त करते हैं । इसीलिए वे श्रमण' कहलाते हैं । साधु श्रम करके, आत्ममंथन करके, आत्मा का गोरस बनाकर लोगों को उपदेश रूपी नवनीत देते हैं । १०४ For Private And Personal Use Only

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