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किसी को प्रेरणा जरूर देता हैं । जीवन अगर लोकप्रकाश के लिए जिया जाय तो ही वह सार्थक होता है । जीवन में त्याग की महत्ता है । तप, त्याग के बिना सिद्धि के फल कदापि प्राप्त नहीं होते । जीवन में कोई एक ध्येय, एक आदर्श आवश्यक है । चाहे हम सूर्य-चंद्र न भी बन सकें, किंतु सद्गुण का एक छोटा-सा तारा बनकर जीवन में प्रकाश अवश्य फैला सकते हैं ।
* * * • जितनी हानि न कर सके, दुश्मन द्वेषी होय ।
अधिक हानि निज मन करे, जब मन मैला होय ।। • मां बापू प्रिय बंधु जन, भला करे सब कोय।
अधिक भला निज मन करे, जब मन उजला होय ॥ • जो चाहे बंधन खुले, मुक्ति दुखों से होय ।।
वश में कर ले चित्त को, चित्त के वश मत होय ॥ साधु कहावन कठिन है, लम्बा पेड़ खजूर । चढ़े तो चाखै प्रेमरस, गिरै तो चकनाचूर ।। सब धरती कागद करूँ, लेखनि सब बनराय। सात समुंद की मसि करूँ, गुरुगुन लिखा न जाय।।
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