________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१५. ज्ञान और ज्ञानी
उत्तराध्ययन सूत्र में प्रभु कहते हैं कि बालजीव, छोटी वस्तु की प्राप्ति के लिए बड़ी वस्तु की उपेक्षा करते हैं । लेकिन समझदार मनुष्य मूल्यवान वस्तु को प्राप्त करने के लिए छोटी वस्तु को छोड़ देते हैं ।
इंद्रियों की तृप्ति और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए ही बालजीव जीते हैं, जबकि पंडित जीवन भर आत्मा का ही विचार करते रहते हैं ।
हमारे अंतर्द्वार अभी बंद हैं, अंतर में अंधकार है । जैसे अंधेरे कमरे में हम सहसा प्रवेश नहीं करते, बल्कि प्रकाश होने के बाद ही उसमें जाते हैं, वैसे ही क्रोध, मान, माया और लोभ का अँधेरा अंतर में फैला हुआ है, लेकिन भीतर में ज्ञानरूपी प्रकाश फैलते ही हम अंतर की यात्रा प्रारंभ करते हैं।
ज्ञानी और शास्त्र अंतर का तिमिर दूर कर प्रकाश फैलाते हैं।
ज्ञान अमूल्य है, ज्ञान प्रकाश है, ज्ञान शिखर की चोटी है । महावीर प्रभु ज्ञान के सागर थे । अन्य ज्ञानी पुरुष तो ज्ञान के बिंदु समान थे । प्रभु तत्वज्ञानी थे । वे तारकगण में चंद्र के समान थे । तत्त्वज्ञानी अपनी बुद्धि रे का उपयोग मंदबुद्धि लोगों को धर्म देने के
२१
For Private And Personal Use Only