Book Title: Samvada Ki Khoj
Author(s): Padmasagarsuri
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AN MAA २. मानव देवगण भी मानवजन्म प्राप्त करने की अभिलाषा रखते हैं, क्योंकि मानव में मानवता की सुरभि भरी हुई होती है । परंतु मानवजीवन आज अनेक यातनाओं से भर गया है । आज मनुष्य-मनुष्य के बीच बैर की, विरोध की, कषायों की दीवारें खड़ी हो गई हैं । मनुष्य मनुष्य का सामूहिक कत्ल तक करता है । आत्मा का मूल्य भुला दिया गया है । मानवता मर चुकी है । मनुष्य पशु से भी अधिक अधम व दुष्ट बन गया है। मानवता मानव को महामानव बनाती है, सब का मित्र बनाती है । तीर्थंकर भगवंत बनने के लिए, केवलज्ञान पाने के लिए सच्चे इंसान बनने की अत्यंत ही आवश्यकता है । श्रेष्ठ वैभव का सुखोपभोग करनेवाले अनुत्तर विमानवासी देव भी मनुष्य भव की इच्छा करते हैं । यहाँ त्याग है, संयम है, इसीलिए धरती ही स्वर्ग है । मनुष्य के विकास का क्षेत्र यह धरती ही है । परन्तु यहाँ के मनुष्य आँखें मूंद कर प्रभु से स्वर्ग की याचना करते हैं । पृथ्वी पर ही मानवता प्रगट होती है । यहीं मानव आत्मज्ञान प्राप्त करता है । इसलिए यहीं आत्मा को ऊर्ध्वगामी बनाना है। For Private And Personal Use Only

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