Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa Author(s): Mohanraj Bhandari Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir View full book textPage 8
________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" से हस्तक्षेप कर गुजरेगी और अकेला दिगम्बर समाज प्रभावशाली और वजनदार विरोध निश्चय ही नहीं कर पायेगा। समय की मांग और परिस्थितियों का प्रबल तकाजा है कि हम गहराई और ईमानदारी से सोचे-समझें और किसी भी धार्मिक स्थल को सरकारी हस्तक्षेप का शिकार न बनने दें। दिगम्बर समाज में भी व्यायप्रिय, धर्मनिष्ठ और प्रबुद्ध लोगों की कमी नहीं है और इन्हीं लोगों से हम आग्रहपूर्वक नम्र निवेदन करना चाहेंगे कि वे गहराई और ईमानदारी से सम्मेदशिखर-विवाद के बारे में चिन्तन-मनन करें। केवल अति महत्वाकांक्षी राजनीति के खिलाड़ी कुछ नेताओं के भरोसे इस अहम मसले को न छोड़ें अन्यथा इसके दूरगामी परिणाम धर्म एवं समाज के लिए बहुत ही घातक होंगे। यदि दिगम्बर समाज के अशोकजी जैसे तौर-तरीकों से श्वेताम्बर समाज भी श्रवण बेलगोला के प्रबन्ध में हिस्सेदारी की मांग करे तथा उलटा-सीधा प्रचार करें तो क्या वह उचित एवं न्यायसंगत होगा तथा दिगम्बर समाज क्या उसे सहन कर सकेगा? प्रस्तुत पुस्तक-लेखन के पीछे हमारा उद्धेश्य किसी की भावना को ठेस पहुँचाना कतई नहीं है लेकिन कटु सत्य को प्रस्तुत करने में कहीं कोई अप्रिय शब्द का प्रयोग हो गया हो तो हम हृदय से अगाऊ क्षमाप्रार्थी हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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