Book Title: Sammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa Author(s): Mohanraj Bhandari Publisher: Vasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir View full book textPage 7
________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" . धर्म के साथ विश्वासघात करना है। वैसे तो हर व्यक्ति, सम्प्रदाय और समाज को अपना हक प्राप्त करने हेतु कानूनी-लड़ाई, लड़ने का अधिकार है लेकिन कोई व्यक्ति या सम्प्रदाय अपने धर्म या धर्म-स्थानों के हितों की उपेक्षा कर या उनका बलिदान देकर भी धार्मिक स्थानों पर हक प्राप्त करने का प्रयास करता है तो वह समूचे समाज के प्रति एक भयंकर पीड़ाजनक अपराध है। धार्मिक स्थानों सम्बन्धी विवाद में राजनीतिक प्रभाव के सहारे सरकार को हस्तक्षेप हेतु आमंत्रित करना या सरकारी हस्तक्षेप का स्वागत-समर्थन करना, जाने-अनजाने एक ऐसा जघन्य अपराध है जिसकी सजा आगे-पीछे जाकर समूचे समाज को एक दिन अवश्य भुगतनी पड़ती है। सम्मेदशिखर-विवाद को अनुचित और अनैतिक रास्तों के माध्यम से अपने प्रभाव के सहारे उलझा कर प्रबन्ध में हिस्सेदारी प्राप्त करने का स्वप्न देखने वालों को यह नहीं भूलना चाहिये कि इसके दूरगामी दुष्परिणामों की चपेट से वे स्वयं को भी नहीं बचा पायेंगे। सरकार को तो धार्मिक स्थानों में हस्तक्षेप करने का मात्र बहाना चाहिए और यह बहाना हम सहज ही उसे उपलब्ध करा देते हैं तो फिर धार्मिक स्थानों में उसके दखल को रोक पाना निश्चय ही सम्भव नहीं है। आज सरकार सम्मेद शिखरजी के मामले में हस्तक्षेप कर रही है तो कल श्री महावीरजी और बाहुबलिजी के मामले में भी बहुत आसानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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