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२६ | सद्धा परम दुल्लहा
इस प्रकार देव, गुरु और धर्म इस श्रद्धेय त्रिपुटी के प्रति प्रत्येक आस्तिक व्यक्ति का विश्वास होना ही चाहिए। इनके प्रति दृढ़ विश्वास होने से वह अपने जीवन में उत्तरोत्तर उच्च भूमिका पर पहुँच सकता है। प्रदेशी राजा जैसा नास्तिक एवं क्रूर मानव केशीश्रमण जैसे महान् धर्मगुरु पर दृढ़विश्वास करने एवं उनके उपदेशों के अनुसार जीवन को ढालने से देवलोक की सुख-समृद्धि प्राप्त कर सका । हरिकेशबल जैसे असंस्कारी नीच कुलोत्पन्न व्यक्ति भी भगवान् महावीर के उपदेश से महान् उच्चत्यागी, तपस्वी साधु बनकर स्व-पर कल्याण कर सके ।
अतः धार्मिक क्षेत्र में इन तीन आराध्य एवं श्रद्धय तत्त्वों पर दृढ़ विश्वास करने में कल्याण ही कल्याण है । ऐसा व्यक्ति परम सौभाग्यशाली और सुख-सम्पन्न बन सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं ।
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