Book Title: Prathamanuyoga Dipika
Author(s): Vijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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MOOD
संसार और नश्वर भोगों के प्रति न रुचि यी न पाशा और न आकांक्षा । उनका तो एक मात्र उद्देश्य स्व-दान, आत्म दर्शन था । परन्तु भोगी क्या जाने इस रहस्य को ? विचित्र घटना है। राजा महाकच्छ के पुत्र नमि और विनमि अर्थात् भगवान के साले एक दिन ध्यानी प्रभु के पास आये और चरणों में लिपट कर प्रार्थना करने लगे। "हे प्रभो! हम पर प्रसन्न हजिये । हमारा दुःख निवारण करिये। आपने योग साधना लेने के पूर्व अपना राज्य पुत्र-पौत्रों को बांटा पर हमें एकदम भला दिया । हमको भी कुछ दीजिये । हम आपके चरणों में पड़ते हैं।" इस प्रकार कह कर भगवान को जल, पत्र, पुष्प आदि चढ़ाकर विविध प्रकार से पूजा करने लगे । हमें कुछ न कुछ देना ही होगा, इस प्रकार बार-बार प्राग्रह करने लगे । उन्हें क्या मालम था वीतरागी प्रभ के पास तिल तुष मात्र भो कुछ नहीं है । अज्ञानवस, विषयासक्त विरक्त प्रभु को रक्त बनाने की व्यर्थ चेष्टा कर उपसर्ग करने लगे । प्रभु के असीम पूण्योदय से धरणेन्द्र का प्रासन कम्पित हुया । उसने अवधिशान से नमि-विमि के दुराग्रह को जानकर भगवान का उपसर्ग दूर करने के लिए पाताल लोक से पाया।
सर्व प्रथम नागेन्द्र ने अनेकों दिव्य द्रव्यों से मुनिराज प्रभु की अष्टविध अर्चना कर स्तुति की। तीन प्रदक्षिणा देकर नमस्कार किया। पुनः अपना रूप छिपा कर बड़ी युक्ति से उन दोनों कूमारों से कहा, "आप कौन हैं ? इस शान्त, निरापद वन में शस्त्रवद्ध मृत्यु के समान भयंकर आप लोगों का रहना उचित नहीं। ये भगवान परम वीतरागी हैं इन्हें राज्य से, भोगों से अब कोई प्रयोजन नहीं है । तुम भोगों में प्रासक्त विवेक शून्य, बुद्धि विहीन इनसे व्यर्थ ही विषयों की चाह कर रहे हो? यदि आप को राज्य सम्पत्ति ही चाहिए तो राजा भरत के पास जाओ । उनसे मांगो वे दे सकते हैं। यहां व्यर्थ अरण्य रोदन करने से क्या लाभ ? सच है याचक की विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है । उचित अनुचित का उसे भान नहीं रहता ? "मूर्खता छोड़ो" सुनते ही दोनों की कोपाग्नि भड़क उठी। वे बोले
हाँ, हो हम तो मूर्ख हैं, पर माप क्यों दूसरों के बीच में बोलते हैं ? अपको किसने बुलाया न्याय करने और उपदेश देने को । अाप बुद्धिमान हैं तो चुपचाप अपने घर जाइये । हमारे योग्य प्रयोग्य को हम जानते हैं प्रापको इससे क्या प्रयोजन ? क्या बाल सफेद होने से बड़े हो गये