Book Title: Prathamanuyoga Dipika
Author(s): Vijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
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विराजे । आपके साथ ६१०० मुनिराज और भी ध्यानारूढ़ हो गये। एक मास का प्रतिमायोम धारण कर चैत्र कृष्णा अमावस्या के दिन प्रातःकाल चौथे शुक्ल ध्यान के प्रभाव से परम मोक्ष पद प्राप्त किया । उसी समय इन्द्रादि ने आकर मोक्ष कल्याणक पूजा कर परिनिर्वासा कल्याणक महोत्सव मनाया । रेवती नक्षत्र में मुक्त हुए।
अनन्तनाथ प्रभु के इस शुद्ध स्वरूप का ध्यान करने वालों को भी ... शुद्धात्म स्वरूप की प्राप्ति होती है । विशेष-----
इन के समय में सुप्रभ बलभद्र और पुरुषोत्तम नामक नारायण हुए । मधुसूदन को मार कर पुरुषोसम त्रिखण्ड का अधिपति हुए। राज्यलोभ-परिग्रह की तीन लालसा से दोनों ही ७३ नरक में जा उत्पन्न हए। सुप्रम बलभद्र तपश्चरणकर-उभय परिग्रह का सर्वथा त्याग कर मुक्त हुए । मव्यात्मन् बन्धु एवं बहिनों को आशा पिशाची का त्याग करना चाहिए।
चिह्न
सही
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प्रश्नावली
१. अनन्तनाथ के जीवन की विशेषता क्या है ? २. इनके माता-पिता का नाम क्या था ? नगरी कौनसी थी ? ३. केवलज्ञान कब और कहाँ प्राप्त हुआ ? ४. आपको कौनसा कल्याणक सबसे अधिक प्रिय है ? क्यों है ? ५. तप कहाँ और कब धारण किया ? राज्यकाल कितना था ?