Book Title: Prathamanuyoga Dipika
Author(s): Vijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti

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Page 252
________________ पूर्वमवावलो--- १ मरुभूति मंत्री २ हाथी, ३ सहस्रार, (१२) स्वर्ग में देव, ४ विद्याधर राजा, ५ अच्यूत स्वर्ग (१६) में देव, ६ वनाभि चक्रवर्ती, ७ मध्यम प्रबेयक में अहमिन्द्र, प्रानन्द राजा, प्रानत स्वर्ग में इन्द्र, १० पाश्वनाथ भगवान तीर्थकर | . ___ इनके साथ वर बांधकर कमठ का जीव १ कमठ, २ कुक्कुट सर्प, ३ पाँचवें नरक का नारकी, ४ अजगर, ५ नरक में, ६ भील, ७ नारकी, + सिंह, नारकी और १० महीपाल, ११ शंवर देव हुमा उपयुक्त भवावली का अवलोकन कर किसी के साथ विरोध नहीं करना चाहिए । स्वयं वर का कद परिणाम भोगकर जीव अपनी ही दुर्गति का पात्र होता है । प्राणी मात्र के प्रति क्षमा भाव रखना चाहिए । क्षमा के कारण पाश्र्वनाथ तीर्थकर हुए। प्रश्नावली-- १. श्री पार्श्वनाथ ने विवाह किया या नहीं? २. इनका चिन्ह क्या है ? किस नगर में जन्म हुआ ? ३. माता, पिता और निर्वाण भूमि का नाम बतायो ? ४. इनके कितने भव ग्राप जानते हैं ? ५. इनका शत्रु कौन था ? श्रुता का फल क्या है? ६. पार्श्वनाथ के जीव ने कमठ से बदला लिया क्या ? नहीं ! तो क्यों ? उसका फल क्या हुमा? ७. आपको क्षमा प्रिय है या शत्रुता ? ८. इनका निर्वाण स्थान कहाँ है ? ६. आपने दर्शन किये हैं या नहीं ? दर्शन का फल क्या है ? १०. जिन प्रतिमा के दर्शन का फल क्या है ? . . ११. सूर्य पूजन कब क्यों चली ? २४]

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