Book Title: Pragnapana Sutra Part 03
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रज्ञापना सूत्र
दसणपरिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते?
गोयमा! तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - सम्मइंसण परिणामे, मिच्छा दंसण परिणामे, सम्मामिच्छा दंसण परिणामे ८।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! दर्शन परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! दर्शन परिणाम तीन प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. सम्यग्दर्शन परिणाम २. मिथ्यादर्शन परिणाम और ३. सम्यग्-मिथ्या दर्शन परिणाम।
विवेचन - सम्यग्दर्शन आदि रूप परिणाम दर्शन परिणाम है।
चरित्त परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? ___गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते। तंजहा - सामाइय चरित्त परिणामे, छेओवट्ठावणिय चरित्त परिणामे, परिहार विसुद्धिय चरित्त परिणामे, सुहुमसंपराय चरित्त परिणामे, अहक्खाय चरित्त परिणामे ९।।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! चारित्र परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है?
उत्तर - हे गौतम! चारित्र परिणाम पांच प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. सामायिक चारित्र परिणाम २. छेदोपस्थापनीय चारित्र परिणाम ३. परिहार विशुद्धि चारित्र परिणाम ४. सूक्ष्म सम्पराय चारित्र परिणाम और ५. यथाख्यात चारित्र परिणाम।
विवेचन - जीव का सामायिक आदि चारित्र रूप परिणाम चारित्र परिणाम कहलाता है। वेय परिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? .
गोयमा! तिविहे पण्णत्ते। तंजहा - इत्थि वेय परिणामे, पुरिस वेय परिणामे, णपुंसग वेय परिणामे १०॥४१५॥ . भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! वेद परिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
उत्तर - हे गौतम! वेद परिणाम तीन प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - १. स्त्री वेद परिणाम २. पुरुषवेद परिणाम और ३. नपुंसक वेद परिणाम।
विवेचन - स्त्रीवेद आदि के रूप में जीव का परिणाम वेद परिणाम कहलाता है। शंका - दश प्रकार के जीव परिणामों का क्रम इस प्रकार क्यों रखा गया है?
समाधान - १. औदयिक आदि भाव के आश्रित सभी भाव बिना गति परिणाम के प्रकट नहीं होते हैं अतः सर्व प्रथम गति परिणाम कहा गया है २. गति परिणाम होने से इन्द्रिय परिणाम अवश्य होता है अतः गति परिणाम के बाद इन्द्रिय परिणाम कहा गया है ३. इन्द्रिय परिणाम होने से इष्ट और
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