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से लगाया जा सकता है । यदि ऐसा न होता तो अटीरा, पी०
आर० एल०, ला० द० भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर, इन्डियन
इन्स्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेन्ट, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, नेशनल इन्स्टिट्यूट ऑफ डिजाइन और विक्रम साराभाई कम्युनिटी सेन्टर जैसी - ख्यातिप्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ अहमदाबाद में कैसे निर्मित हो सकती ? - यह उद्योगपति कस्तूरभाई और युवा वैज्ञानिक डॉ० विक्रम साराभाई के संयुक्त स्वप्न की ही सिद्धि है ।
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भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम का परिचायक है विश्वविद्यालय - संकुल में स्थित जहाज के रमणीय आकार में निर्मित ला० - द० भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर जो सन् १९५५ में बनकर तैयार हुआ था और उसका उद्घाटन प्रधान मन्त्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था । - मुनि श्री पुण्यविजयजी ने उस संस्था को १० हस्तप्रतों *एवं ७००० पुस्तकों की अत्यन्त मूल्यवान भेंट अर्पित की थी । आज इस संस्था के पास ३०,००० के प्रायः प्रकाशित ग्रन्थों का एवं ७०,००० के प्रायः पाण्डुलिपियों का संग्रह है । उसमें से दस हजार पाण्डुलिपियों की सूची केन्द्रीय सरकार की सहायता से एवं ७००० पाण्डुलिपियों की सूची गुजरात सरकार की सहायता से प्रकाशित हो चुकी है । अद्यावधि इस संस्था की ओर से १०० से अधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं । ४८०० पाण्डुलिपियों की ट्रान्सपेरेन्सी एवं दो हजार मूल्यवान हस्तप्रतों की माईक्रोफिल्म भी कर - ली गयी है साथ ही साथ १०:० से अधिक पुराने सामायिकों के अंक भी संग्रहीत हैं । इस संस्था का मुख्य आकर्षण सांस्कृतिक संग्रहालय है । कस्तूरमाई एवं उनके परिवार के लोगों की ओर से भेंट में - दी गयी बहुत सी पुरातात्विक वस्तुओं को इस संग्रहालय में संग्रहीत किया गया है । सुन्दर चित्र, कलाकृतियाँ, प्राचीन वस्त्र - आभूषण,
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