Book Title: Nyayasangrah
Author(s): Hemhans Gani, Nandighoshvijay
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ [16] ३. कतिचित्दुर्गपदव्याख्या श्रीदेवेन्द्रसूरिजी ( श्रीउदयचन्द्र के शिष्य) ४. न्यासोद्धार श्रीकनकप्रभसूरिजी (चन्द्रगच्छीय श्रीदेवेन्द्रसूरिजी के शिष्य) ५. हैमलघुवृत्ति श्रीकाकलकायस्थ (श्रीहेमचन्द्रसूरिजी के समकालीन) ६. हैमबृहद्वृत्ति (ढुंढिका) श्रीसौभाग्यसागर (सं. १५९१) ७. हैमव्याकरण (ढुंढिका-संस्कृत) श्रीविनयचन्द्र ८. हैमव्याकरण (ढुंढिका-प्राकृत) श्रीउदयसौभाग्य गणि ९. हैमलघुवृत्ति (ढुंढिका) श्रीमुनिशेखर १०. हैम अवचूरि श्रीधनचन्द्र ११. हैमचतुर्थपादवृत्ति श्रीउदयसागर १२. हैमव्याकरणदीपिका श्रीजिनसागर १३. हैमव्याकरणबृहदवचूर्णि श्रीअमरचन्द्रसूरि (सं. १२३४) १४. हैमव्याकरण अवचूरि अज्ञातकर्तृक १५. हैमव्याकरण अवचूरि श्रीरत्नशेखरसूरि १६. प्राकृतदीपिका श्रीहरिभद्रसूरि (द्वितीय) १७. प्राकृत अवचूरि श्रीहरिप्रभसूरि १८. हैमदुर्गपदप्रबोध श्रीवल्लभ पाठक (सं. १६६१) १९. हैमकारकसमुच्चय श्रीप्रभसूरि (सं. १२८०) २०. हैमवृत्ति श्रीप्रभसूरि (सं. १२८०) २१. आख्यातवृत्ति श्रीनन्दसुन्दर २२. सिद्धहेमलघुवृत्ति अवचूरि अज्ञातकर्तृक सिद्धहेमव्याकरण के आधार पर अन्य संक्षिप्त-कौमुदी प्रकार के प्रक्रिया ग्रंथो की भी रचना की गई है। वह इस प्रकार है१. सिद्धसारस्वत श्रीदेवानन्दसूरि ( श्रीप्रद्युम्नसूरिजी के गुरु) २. चन्द्रप्रभा (हैमकौमुदी) श्रीमेघविजय उपाध्याय (सं. १७५८) ७००० श्लोक ३. हैमशब्दचन्द्रिका श्रीमेघविजय उपाध्याय ४. हैमप्रक्रिया महेन्द्रसुत वीरसी ५. हैमलघुप्रक्रिया श्रीविनयविजय उपाध्याय (सं. १७१०) ६. हैमप्रकाश (प्रक्रियाबृहन्न्यास) श्रीविनयविजय उपाध्याय (३४००० श्लोक) उपर्युक्त ग्रन्थों को छोड़कर अन्य ग्रन्थों का भी पिछले ६०-७० वर्षों में निर्माण हुआ है सिद्धहेमव्याकरण के सहायक ग्रन्थों इस प्रकार है - १. क्रियारत्नसमुच्चय श्रीगुणरत्नसूरि (सं. १४६६) २. स्यादिशब्दसमुच्चय श्रीअमरचन्द्रसूरि (सं. १२२६ से पूर्व) ३. धातुपाठ (स्वरवर्णानुक्रमयुक्त) श्रीपुण्यसुन्दरगणि ४. कविकल्पद्रुम श्रीहर्षविजय ५. हैमविभ्रमसटीक श्रीगुणचन्द्रसूरि (तेरहवां शतक) ६. हैमविभ्रमवृत्ति श्रीजिनप्रभसूरि (चौदहवां शतक) ७. लिङ्गानुशासन अवचूरि श्रीजयाननन्दसूरि ८. न्यायसंग्रह-न्यायार्थमञ्जूषाबृहवृत्ति श्रीहेमहंसगणि (सं. १५१५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 470