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भाग
नवतत्त्वसंग्रहः गतिभेद
नारकी तिर्यंच मनुष्य
देवता जीवसंख्या | श्रेणि के असंख्यात | अनंते उपजे | पल्य के असंख्य में | श्रेणिक के असंख्य उत्कृष्ट में भाग
भाग निरंतर प्रमाण जघन्य | २ समय निरंतर | सर्व अद्धा | २ समय निरंतर २ समय निरंतर निरंतर प्रमाण उत्कृष्ट | आवलि के असंख्य | सर्व अद्धा | आवलि के असंख्य | आवलि के असंमें भाग
में भाग
ख्यात में भाग जीवसंख्या २ जीव दो समया | अनंते समय | २ जीव दो २ जीव दो जघन्य
में उपजे से उपजे ] समया मे उपजे समया में उपजे जीवसंख्या उत्कृष्ट | श्रेणि के असंख्य | सर्व अद्धा | पल्य के असंख्य । श्रेणि के असंख्य में भाग
में भाग
में भाग सांतरोववन्नगा | २ असंख्य गुणे | ० | २ असंख्य गुणे । २ असंख्य गुणे निरंतरोववन्नगा | १ स्तोक ० । १ स्तोक | १ स्तोक
(२२) भाषा के पुद्गल ५ प्रकारे भेदाय ते यंत्रम् पन्नवणा पद ११ भेद खें(ख)डा भेद १ | प्रतरभेद २ | चूर्णि(ण)भेद ३ अनुतडिता भेद ४ उत्करिका भेद ५
| लोहे के खंडवत् | अभ्रक के | अन्न के आटे | सरोवर की | एरिंड की मटर भाषा के खंड पुद्गलवत् । की तरे(ह) | अत्रेडवत् त्रेड | की मूंग उडद की
भाषा बोल्यां | भाषा बोल्यां | हो कर | फली सूके से
पछे भेदाय | पछे भेदाय | भेदाय । दाणा उछलें अल्पबहुत्व | ५ अनंत गुणे | ४ अनंत गुणे | ३ अनंत गुणे | २ अनंत गुणे | १ स्तोक
भाषास्वरूपयंत्रं प्रज्ञापना पद ११ आदि-भाषा की आदि जीवस्युं । २. उत्पत्ति-भाषा की उत्पत्ति औदारिक १. वैक्रिय २ आहारि(र)क ३. शरीर सें । ३. भाषा का संस्थान-भाषा का संस्थान वज्र का आकार । जैसे वज्र आगे पीछे तो विस्तीर्ण होता है अने मध्य भाग में पतला होता है ऐसा संस्थान भाषा का । 'कस्मात् ? लोकव्यापे तदलोक सरीषां संस्थान है। ४. (स्पर्श)-भाषा के पुद्गल तीव्र प्रयत्न से बोलनहार के लोक के षट् दिग् चरम अंतकुं चार समय में स्पर्शे । ५. द्रव्य-भाषा द्रव्यथी अनंतप्रदेशी स्कंध लेवे । ६. क्षेत्र-भाषा क्षेत्रथी असंख्य प्रदेश अवगाह्या स्कंध ग्रहण करे । ७. काल-भाषा कालथी यथायोग्य अन्यतर स्थिति सर्व प्रकारनी । ८ भाव-भाषा भावथी वर्ण ५, गंध २, रस ५, स्पर्श ८ एह ग्रहण करे । ९. दिशा-भाषा के पुद्गल षट् ६ दिशाथी लेवे । १०.
होय
१. शाथी?।